दिनांक 6/3/2025
बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले सियासी घमासान तेज हो गया है। इस बार चर्चा का केंद्र 1990 का दौर बन गया है, जब लालू प्रसाद यादव मुख्यमंत्री बने थे। केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने दावा किया है कि लालू यादव को मुख्यमंत्री बनाने में सबसे अहम भूमिका नीतीश कुमार ने निभाई थी। उन्होंने रात-रात जागकर लालू के लिए प्रचार किया, जबकि उस समय किसी भी विधायक का समर्थन लालू यादव को नहीं था।

नीतीश कुमार की मेहनत से बने सीएम: ललन सिंह
ललन सिंह ने अपने बयान में कहा कि जब 1990 में मुख्यमंत्री चुनने की बारी आई, तो लालू यादव को कोई पसंद नहीं करता था। लेकिन नीतीश कुमार ने उनके लिए जमकर मेहनत की और प्रचार किया। ललन सिंह के अनुसार, उस समय सिर्फ एक विधायक शिवशंकर ने लालू यादव का समर्थन किया था।
तेजस्वी यादव पर निशाना
ललन सिंह ने तेजस्वी यादव के हालिया बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि उन्हें गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने खुद कुछ किया ही नहीं तो आगे क्या करेंगे? इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि तेजस्वी जिस बजट की आलोचना कर रहे हैं, वह बिहार की जनता के हित में है।
चारा घोटाले का जिक्र
अपने बयान में ललन सिंह ने चारा घोटाले का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि जब एच. डी. देवेगौड़ा देश के प्रधानमंत्री थे, तब लालू यादव भी प्रधानमंत्री बनने के लिए दिल्ली गए थे। लेकिन चारा घोटाले में उनका नाम आने के कारण उनका यह सपना अधूरा रह गया।
नीतीश कुमार के बयान से मचा घमासान
हाल ही में बिहार विधानसभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि उन्होंने ही 1990 में लालू यादव को मुख्यमंत्री बनाया था। इस बयान के बाद बिहार की राजनीति गरमा गई है। तेजस्वी यादव ने दावा किया कि उन्होंने दो बार नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया है। इसके जवाब में ललन सिंह ने फिर से नीतीश कुमार का समर्थन किया।
महागठबंधन में प्रेशर पॉलिटिक्स तेज
भाजपा प्रवक्ता प्रभाकर मिश्र ने कहा कि बिहार में महागठबंधन में बिखराव की पटकथा तैयार हो चुकी है। कांग्रेस ने 70 सीटों की मांग की है, जबकि राजद कांग्रेस को सस्ते में हटाने की योजना बना रहा है। वाम दल और वीआईपी पार्टी की मांगें अभी सामने आनी बाकी हैं।
उन्होंने कहा कि 1990 से पहले और बाद के बिहार की तुलना कर कांग्रेस शासनकाल की आलोचना हो रही है। पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी भी कांग्रेस शासनकाल पर सवाल उठा रही हैं। इन हालातों को देखते हुए यह तय माना जा रहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव से पहले विपक्षी गठबंधन का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है।
निष्कर्ष
बिहार की राजनीति में 1990 का दौर आज भी चर्चा में बना हुआ है। लालू यादव के मुख्यमंत्री बनने से लेकर चारा घोटाले और वर्तमान में महागठबंधन की स्थिति तक, बिहार की राजनीति लगातार बदलाव के दौर से गुजर रही है। अब देखना होगा कि 2025 के चुनाव में किसका पलड़ा भारी रहता है।