दिल्ली की केजरीवाल सरकार पर एक बार फिर स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सालों से एसेंशियल ड्रग लिस्ट (EDL) तैयार नहीं की गई, जिससे हर अस्पताल को अपनी अलग दवा सूची बनाने की छूट मिल गई। इसका सीधा असर मरीजों पर पड़ा, क्योंकि अलग-अलग अस्पतालों में अलग-अलग दवाएं उपलब्ध हैं, जिससे इलाज में असमानता आई है।

खाली पड़ी 15 प्लॉट की जमीन, अस्पताल निर्माण का इंतजार
दिल्ली के हेल्थ और फैमिली वेलफेयर डिपार्टमेंट ने डीडीए से ₹684 लाख में 15 प्लॉट खरीदे थे, जिन पर नए अस्पताल और दवाखाने बनाए जाने थे। लेकिन अब तक किसी भी साइट पर निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ। इसका सीधा असर दिल्लीवासियों की स्वास्थ्य सुविधाओं पर पड़ा है, क्योंकि बेहतर मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर के अभाव में मरीजों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
जनता के पैसे से खरीदी गई जमीन बेकार?
सरकार ने जनता के टैक्स के पैसों से अस्पतालों के लिए जमीन खरीदी, लेकिन उन्हें विकसित नहीं किया। अगर समय पर इन प्लॉट्स का उपयोग किया जाता, तो दिल्ली में स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार होता और मरीजों को बेहतर इलाज मिल सकता था।
सरकार पर उठ रहे सवाल
1. क्यों नहीं बनी एसेंशियल ड्रग लिस्ट?
2. अलग-अलग अस्पतालों में अलग-अलग दवाओं की उपलब्धता से मरीजों को हो रही परेशानी का जिम्मेदार कौन?
3. 684 लाख रुपये में खरीदी गई जमीन पर अस्पताल निर्माण क्यों नहीं शुरू हुआ?
4. क्या सरकार जनता के पैसों का सही उपयोग कर रही है?
5. दिल्लीवासियों के लिए क्या हैं विकल्प?
स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए सरकार को जल्द से जल्द एसेंशियल ड्रग लिस्ट तैयार करनी होगी और अस्पतालों के निर्माण में तेजी लानी होगी। दिल्ली के नागरिकों को इस मुद्दे पर सरकार से जवाब मांगना चाहिए, ताकि स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर हो सकें।
क्या आपको लगता है कि दिल्ली सरकार को इस मामले में जल्द कार्रवाई करनी चाहिए? अपनी राय कमेंट में दें!