दिल्लीदेश की बात

दिल्ली को ‘डबल इंजन सरकार’ की जरूरत: बीजेपी की नई रणनीति

आगामी दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपनी रणनीति को धार देना शुरू कर दिया है। फरवरी में होने वाले इन चुनावों के लिए पार्टी ने 700 से अधिक नामों की छानबीन के बाद प्रत्येक विधानसभा सीट पर 3 से 4 संभावित उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट किया है। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा के नेतृत्व में गठित समिति ने गुरुवार को इस चयन प्रक्रिया को अंजाम दिया।

इस बीच, जहां आम आदमी पार्टी (आप) ने सभी 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं और कांग्रेस ने 21 नामों की घोषणा की है, वहीं भाजपा ने मजबूत और जनता से जुड़े उम्मीदवारों को प्राथमिकता देने पर ध्यान केंद्रित किया है।

डबल इंजन सरकार’ का मॉडल
दिल्ली को विश्वस्तरीय शहर बनाने की प्रतिबद्धता के साथ, भाजपा सांसद रामवीर सिंह बिधूड़ी ने एक संवाददाता सम्मेलन में ‘डबल इंजन सरकार’ की आवश्यकता पर बल दिया। उनका मानना है कि केंद्र और राज्य में एक ही पार्टी की सरकार होने से विकास कार्यों को तेज़ी से अंजाम दिया जा सकता है।

“दिल्ली की जनता अरविंद केजरीवाल के निरंतर केंद्र पर आरोप लगाने वाले रवैये से थक चुकी है। भाजपा अगले चार सालों तक केंद्र में रहेगी, और दिल्ली के लोग अब विकास और स्थिरता के लिए भाजपा की ओर देख रहे हैं,” बिधूड़ी ने कहा।

वेलफेयर स्कीम्स जारी रहेंगी, लेकिन गुणवत्ता में सुधार होगा
आम आदमी पार्टी द्वारा लगाए गए आरोपों को खारिज करते हुए कि भाजपा सत्ता में आने पर सब्सिडी वाली योजनाओं को खत्म कर देगी, बिधूड़ी ने स्पष्ट किया कि भाजपा न केवल इन योजनाओं को जारी रखेगी बल्कि उनकी गुणवत्ता में सुधार भी करेगी।

“फ्री पानी का क्या फायदा, अगर वह दूषित है? मुफ्त बस यात्रा किस काम की, जब बसें ही खस्ताहाल हैं? भाजपा की प्राथमिकता दिखावटी वादों के बजाय योजनाओं की गुणवत्ता और व्यावहारिकता पर होगी,” बिधूड़ी ने कहा।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी की कई घोषणाएं, जैसे महिलाओं को वित्तीय सहायता, केवल चुनावी प्रचार तक सीमित रही हैं।

दिल्ली में भाजपा की विरासत
1993 से 1998 तक दिल्ली में सत्ता संभाल चुकी भाजपा का रिकॉर्ड विकास और स्थिर शासन का रहा है। देश के अन्य राज्यों में भाजपा शासित सरकारों द्वारा किए गए बुनियादी ढांचे और जनकल्याण कार्य इसके उदाहरण हैं।

आगामी चुनाव केवल पार्टियों के बीच प्रतिस्पर्धा नहीं हैं, बल्कि यह दो शासन मॉडलों के बीच एक चुनाव है। जहां आप मुफ्त योजनाओं और केंद्र पर आरोप लगाने की राजनीति करती है, वहीं भाजपा गुणवत्ता, स्थिरता और विकास का वादा लेकर आई है। दिल्ली की जनता के पास अब अवसर है कि वह ऐसे शासन को चुने जो वास्तव में उनके भविष्य को उज्ज्वल बना सके।

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